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दोस्त, घास, पेड़ और लोग

दोस्त, घास, पेड़ और लोग

 

सुबह से ही अपनी मसखरी में था

हर चीज़ को ग़लत अर्थ दे कर धकेलता हुआ

उल्टा पुल्टा सोचता हुआ मैं घर से निकला

बिना वजह एक मित्र से मिलने

उसके दफ़्तर जा पहुँचा

एक बड़ा कमरा,बड़ा मेज़ और कई कुर्सियाँ

दीवार के साथ बड़ा सोफा

मुझे देख- ग़ंज़ा दोस्त कुर्सी में दाएँ बाएँ कुबड़ाया

मुझे सोफे पर बिठा कर फिर मकड़ी बन गया

दो तीन काग़ज़ दसियों बार पलटे

कई लंबे नाटे मोटे पतले बारी बारी आए

महकमे की किसी समस्या पर मुक्त मन से विमर्श हुआ

हंसना   हंसाना काम को सरल बना देता है

काम के साथ व्यायाम भी हो जाता है

समस्या सुलझ गयी उनके कंधों और कूल्हों से लगा

जाते हुए दरवाज़ा खोलने से पहले वे धीर गंभीर हो गये

मैं भी धीर गंभीर मुद्रा में सोफे पर उकड़ू मaन से बैठा था

सब कुछ अधदेखा करते सोच रहा था

सत्य भी शायद अपनी महिम कुर्सी पर बैठता है सिर के बल

निरर्थक संसार को अर्थों की सतरंगी धुरी पर घुमाए रखता है

कई घंटे वहाँ बैठने के बाद मैंने कहा- अब चलें

यह काग़ज़ निबटा कर चलते हैं

वही काग़ज़ जो सुबह से उसने कई बार पलटे थे

सोच की गहराई से उसके माथे पर सिलवटें पड़ीं

बोला – कल कर लेंगे , अभी चलते हैं

मेरा मन था वहीं इंडिया गेट के किसी लॉन पर

पेड़ों के नीचे सुस्ताते या सोते बतियाते लोगों के बीच

आराम से बैठ कर गपशप करें

उसे पता थी सब कुछ उल्टा करके देखने की मेरी सनक

उसने ठीक नहीं समझा

अपने टाई सूट और औहदे को घास पर टिका के

आस पास  सब की आँखों में चमक पैदा करना

इधर उधर देख कर बोला तुम कुछ देर यहाँ बैठो

मैं कुछ काम निबटा कर आता हूँ

लोगों की आँखों में चमक आते आते रह गयी

उन्होने मुझे भी अनदेखा कर दिया

मैंने सीधे मन और सीधी नज़र से देखा

उसके दो पल वहाँ रहने के महिम क्षण ने

घास को घास, पेड़ को पेड़, लोगों को लोग नहीं रहने दिया

लेकिन मैं वहीं जमा रहा

घास पेड़ों और लोगों में अपना चेहरा ढूंढता

मेरी तरफ किसी ने देखा नहीं

लेकिन मैं जम कर उन्हें देखता रहा

किसी का चेहरा मुझ जैसा नहीं था

घास पेड़ और लोग खूब सरल सहज थे, मुझ से बिल्कुल अलग

मुझे उठ कर जाते किसी ने नहीं देखा

मैने जाते जाते भी लंबी नज़र सब पर डाल ली

इस लंबी नज़र में तारे बदल फूल नदियाँ और पर्वत

सब कौंध गये

जाते हुए मेरा दोस्त दूर से आता दिखाई दिया

किसी की तरफ देखना इतना मुश्किल हो सकता है

पहली बार मुझे लगा

कृष्ण किशोर

 

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