alsoreadकविता

ग़ज़ल

ग़ज़ल

 

किसी के दर्द से उजला नहीं कोई दरपन

किसी की याद से बांका ना कोई पैराहन

मुझे भी भूल गयी डूबते सूरज की चुभन
तुझे भी याद कहाँ उन रास्तों का सूनापन

कभी तो बात करो फ़िर से उन अंधेरों की
कभी तो याद करो उस खुली सड़क की घुटन

कभी तो हो कि कुछ ना दिखे चारों तरफ़
कभी तो हो फ़िर से दिन रात वही अंधापन

कोई तो देख कर कह दे कि तू वही सा है
कोई तो आँख हो नम देखकर तेरा दामन

 

कृष्ण किशोर

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