किसी के दर्द से उजला नहीं कोई दरपन
किसी की याद से बांका ना कोई पैराहन
मुझे भी भूल गयी डूबते सूरज की चुभन
तुझे भी याद कहाँ उन रास्तों का सूनापन
कभी तो बात करो फ़िर से उन अंधेरों की
कभी तो याद करो उस खुली सड़क की घुटन
कभी तो हो कि कुछ ना दिखे चारों तरफ़
कभी तो हो फ़िर से दिन रात वही अंधापन
कोई तो देख कर कह दे कि तू वही सा है
कोई तो आँख हो नम देखकर तेरा दामन
कृष्ण किशोर