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A prayer from the living– बेन ओकरी की सांस्कृतिक आतंकवाद और भुखमरी की एक कहानी

A prayer from the living– बेन ओकरी की सांस्कृतिक आतंकवाद और भुखमरी की एक कहानी

ज़िन्दगी के घोर अन्धेरे और जाखिम में प्रवेश करती सांस्कृतिक आतंकवाद और भुखमरी की एक कहानी है प्रेयर फ्राम लिविंगनाईजीरियन विश्वविख्यात कहानीकार बेन ओकरी की। सांस्कृतिक आतंक कई माध्यमों से फैलाया गया है। ये कहानी है बन्दूकों के माध्यम से दूसरी धरतियों पर जाने, वहां के नागरिक युद्घों में दखल देने और व्यापक नरसंहार को वहीं के लोगों के सिर मढ़ देने की चालाक और नृशंस कुकृत्यों की। अफ्रीकी देश सोमालिया में अमरीकी फौजें नब्बे के दशक में इसी उद्देश्य से घुसी थीं। गृहयुद्घ के इलावा, सब फसलें बरबाद हो जाने और बाहर से की कोई सहायता मिलने के कारण वहां भयानक अकाल की स्थिति बनी हुई थी। लाशों के ढेर उठाने वाले भी नहीं थे। आकाश में हवा भी इतनी नहीं थी उस दुर्गंध को कहीं उड़ा ले जाए या जज़्ब कर ले। एक शहर है जिस का नाम लेखिका नहीं लेती केवल शवों का शहरकह कर उसे हमारे सामने लाती है। अपने परिवार के लोगों को ढूंढने एक लड़की निकली है। उसके मां, बाप, और प्रेमी उस में मारे गये होने का डर है। उस शहर की सीमा पार कोई शहर या बस्ती नहीं है। केवल मरुस्थल है। घरों के बाहर भी मरुस्थल ही है। उस शहर में वो एक लाशों भरे मैदान में घूम रही है। एक एक शव को उलटती पलटती। कोई परिचित चेहरा मिले तो शान्ति मिले। तीन हफ्ते की भूख प्यास का भी अब कोई एहसास नहीं। खाना वहां था ही नहीं। ऊपर से, हवाई जहाज़ों से गिराया जाने वाला खाना बन्दूकधारी आतंकी लूट ले जाते थे। ये सब गृह आतंकी वार लार्डथे। इन्सानों के साथ साथ पशुओं के, गायों, घोड़ों के शव भी थे। सिर्फ फौजी सिपाही जीवित थे। एक सूचना के आधार पर वह इस शहर में आई थी। अपने भाई की लाश उसे मिली थी, सूचना ठीक ही थी। आखिरकार, बाहर एक कुंए के पास अपने परिवार की बाकी लाशें मिलीं। उन पर मिट्टी उलीच उलीच कर उसने डाल दी। सिर्फ उन के चेहरे ढक सकी। अपने प्रेमी की तलाश में वह अब भी थी। एक उजड़ी हुई स्कूल की इमारत में वह घुसी। एक गाय भी साथ घुसी। वहां भी बहुत से शव थे। उसके प्रेमी का शव भी था। पहचान कर वह उस का हाथ पकड़ कर दीवार के सहारे बैठ गई। गिरने को तैयार। तभी उसकी आंखों में तेज रोशनी पड़ी। कैमरों के फ्लैश थे। दो एक पत्रकार थे। उन्हें देख कर वह मुस्कुरा दी। मरने से पहले की अपनी आखिरी हंसी। छोटी सी कहानी समय के गर्त में ले उतरती है। गर्त का अंधेरा कहानी के प्रकाश से जगमगा उठता है।

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