मैं हूँ एक बूढ़ा परदेसी और तू है नन्ही सी गुड़िया- कृष्ण किशोर
मैं हूँ एक बूढ़ा परदेसी और तू है नन्ही सी गुड़िया
कब तक बंद रहेगी मेरे झोले में , अपने घर जा
तू मेरे सीने से लग कर कितनी देर खामोश रही है
अब तो आँख उठा कर कह दे कौन देस तेरे प्रीतम का