मार्केस -कहानी – ‘बैल्थाज़ार की शानदार सांझ’
....उसने महसूस किया कि वह बहुत थक गया है, एक भी कदम और नहीं उठा सकता। उसका मन किया - एक ही बिस्तर पर दो सुन्दर औरतों के साथ सोने के लिए। वह अब खाली हाथ, खाली जेब था। अपनी घड़ी तक वह दे चुका था, उधार के लिए। अगली सुबह, वह गली में पसरा पड़ा था। उसे लगा था जैसे कोई उसके जूते उतार कर ले जा रहा था लेकिन वह अपने जीवन के सब से सुन्दर सपने को बर्बाद नहीं करना चाहता था...