विचार

Periodical- धर्मोन्माद – कृष्ण किशोर

दुनिया के सब से बड़े धर्म ईसाइयत का शुरुआती इतिहास ऐसा रहा है जैसे किसी क्रूरता के खिलाफ जन-आंदोलन का इतिहास होता है। गरीब या निचले तबके के लोगों ने ऊपर वाले तबकों से लड़ कर ईसाइयत का आधार रखा। पिछले गरीब देहाती किसानों ने बड़े ताल्लुकदारों, जमींदारों से मुक्ति का स्वप्न ईसाई एकता में देखा। लेकिन सत्ता आते ही, राजाओं का धर्म बनते ही, पादरियों की फौज के हत्थे चढ़ते ही, महाराजाओं के महाराजा पोप ऑफ़ रोम का स्वर्ण सिहांसन बनते ही - युद्घ, जीत-हार और नरसंहार का इतिहास शुरू हो गया जो अब तक जारी है।

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Periodical – 5/2023 Krishan Kishore

....जितना अशिक्षित, गरीब और अस्वस्थ समाज होगा, उतना ही लोकतांत्रिक प्रशासन का भय सर्वव्यापी होगा। हमारे समाज में भी सरकारी संस्था एक भय-पीठ बनकर लोगों को अपने से दूर रखने में महारत रखती है। चुने हुए प्रतिनिधि दिखने में भी लोगों जैसे दिखना बन्द हो जाते हैं। वे अलग ही, सत्त्ता स्वरूप हो जाते हैं।..

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Periodical Krishan Kishore

...इतिहास किसी भी समय का शारीरिक चित्रण हमारे सामने रख सकता है, उस समय के जीवन का समग्र सत्य नहीं बन सकता। समग्र सत्य तक पहुंचने के लिए इतिहास और साहित्य के संगम स्थल तक पहुंचना जरूरी है ।वही समय का तीर्थ स्थान है।.

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Periodical- Krishan Kishore

...खुले आसमान के नीचे खड़े होकर हवा पानी की तरह  अपनी दिशा में बह निकलना उतना कठिन भी नहीं। बस  हमारी स्मृति खो गई है । उसे है जोर से पुकारना है। वापिस बुलाना है। हम भूल गए हैं कि हम सब प्रकृति के तत्वों से ही बने हैं।..

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लोक मानस और कविता

किसी भी चीज के लिए, एक तरह की नियति समय खुद निश्चित करता है। समय का अर्थ घंटे ,दिन, माह, साल नहीं। समय का अर्थ है, बदलती हुई परिस्थितियां, नए मापदंड, नए मूल्य। लेकिन फिर भी, हम बार-बार मुड़कर अतीत की तरफ तो देखते ही हैं।

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Song of Hiawatha – Krishan Kishore

हिआवाथा को चिंता थी कि किस प्रकार कबीलों को अपने शरीर से युद्ध के प्रतीक रंगों को धो देने की प्रेरणा मिले। उनमें अपने हथियारों को धरती में दबाकर शांति का गीत गाने की उत्सुकता जगे।हिआवाथा और मिनीहाहा की प्रण्यात्मक संधि के बाद इस तरह की स्वर्णिम स्थिति का उदय हुआ। यह महा काव्यात्मक रचना अत्यंत लोकप्रिय हुई। 1855 में यह कृति प्रकाशित हुई थी।

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Toni Morrison- Krishan Kishore

...पिकोला की दो सहेलियां क्लाडिया और फ्रीडा अपनी नितांत अबोधता और दयनीयता में उम्मीद करती हैं कि वह गेंदे के फूल लगाएंगी।  यदि फूल उग आएंगे, तो  पिकोला का बच्चा ठीक ठाक जन्म लेगा। बाकी लोग इन अबोधों पर हंसते हैं। न फूल खिलते हैं, न पिकोला का बच्चा जमता है...

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अब नहीं इतना समय

जिन के सामने- तुमसे
जुड़ी कोई पुरानी और सुहानी
बात अधरों तक बुलाना
प्यार झुटलाने सरीखी वेदना है
और चुप रहना तुम्हारी बात न करना
निरंतर यातना है।

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Joan of Arc: Krishan Kishore

आखिर जोन को चौराहे पर आग के हवाले कर दिया गया। चर्च को लगभग छः सौ साल लगे अपनी गलती स्वीकार करने में जब 1920 में उन्होंने जोन को 'सेन्ट जोन' की उपाधि से विभूषित किया। जोन व्यक्तिगत आज़ादी का ज्वलन्त प्रतीक है। जोन का ज्ञान उस की आवाजें थीं जो चर्च के लिए खतरा बन गई। जोन ऑफ़ आर्क आज भी चौराहे पर खड़ी है। चिताएं आज भी उसके लिए तैयार हैं

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Periodical :June 22 – Overcoat By Gogol- Krishan Kishore

...आधुनिक कहानी के इतिहास का लगभग आरम्भ ही एक ऐसी रचना से हुआ जो आज तक हमारी कला का मापदण्ड बनी हुई है। निकोलाई गोगोल की कृति - 'ओवरकोट'। दोस्तयोवस्की ने कहा था कि हम सब गोगोल के ओवरकोट से निकल कर आए हैं।..

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