विचार

Periodical, May 22:Marquez Gabriel Garcia- Krishan Kishore

...गैब्रियल गर्सिया मार्केस का उपन्यास Hundred Years of Solitude एक लम्बी कथा कहता है। कई पीढ़ियों का समय एक साथ कथा में मौजूद है। सांसारिक अर्थों में यहां बहुत कुछ वास्तविक नहीं है। वास्तविक और यथार्थ उन के अतीत, परिणाम और निरन्तरता में फैला हुआ है। उसे ही अपने जादू से मार्केस त्रौकालिक बनाते हैं। मौत भी यहां इतनी दुर्दान्त नहीं जिसे हंसते खेलते बताया न जा सके। जीने की गम्भीरता हास्यास्पद हो उठती है जब उसे समय के कोष्ठों में सीमित कर दिया जाए।...

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सपना- जो बिखर गया


आज कहीं भी सारे विश्व में लोकतंत्र की बात करते हुए, आंखें बंद हो जाती हैं सिर झुक जाता है। इंसान के सबसे बड़े सपने और प्रयास के, इस तरह बिखर जाने से ऐसा लगता है जैसे, दिन बहुत छोटे हो गए हैं, रातें बहुत लंबी। इस के अंधेरे में – जो कुछ हो सकता है, बस वही हो रहा है। निर्मम होकर ही कोई सत्य जस का तस कहा जा सकता है। सो आज का सच यही है कि लोकतंत्र दुनिया में कहीं भी दूध का धोया नहीं रहा।

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धर्म और नैतिकता – कृष्ण किशोर

..नैतिकता का कोई स्थिर निश्चित स्वरूप न होने की स्थिति में समर्थ लोग हमेशा अनैतिक को नैतिक और नैतिक को अनैतिक सिद्घ कर सकते हैं। आज नैतिकता वैसे भी असंगत और अर्थहीन हो चुकी है। आज कानून निर्धारित करता है कि हम क्या कर सकते हैं, क्या नहीं। चोरी सभी के लिए जुर्म है चाहे किसी की मदद के लिए की गई हो। इसी तरह सभी आचरणों के लिए कानून हैं। सज़ा दी जा सकती है या नहीं, ठीक या गलत, कानून निश्चित करता है। धर्म और नैतिकता की उपयोगिता इन क्षेत्रों में बिल्कुल अर्थहीन हो गई है..

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उत्तरी अमेरिका के मूलनिवासियों का उन्मूलन-कृष्ण किशोर

...उत्तरी अमेरिका की धरती पर प्रभुत्व के लिए फ्रांसीसियों, स्पेनियों, डच लोगों और अंग्रेजों का आपसी संघर्ष भी एक सदी से अधिक चला। सन्‌ 1607 में वर्जिनिया प्रांत में अंग्रेजो़ं ने जेम्सटाऊन नामक पहली बस्ती की स्थापना की। वर्जिनिया नामक एक ब्रिटिश कंपनी ने इसे स्थापित किया था। भारत का ब्रिटिश इतिहास यहां भी दोहराया जा रहा था।...

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Slave narratives- Krishan Kishore

...दो सौ सालों तक ये अश्वेत इन्सान अफ्रीकी देशों - प्रमुखतः माली, सिनेगल, गाम्बिया, गिनी, आईवरी कोस्ट, लाईबीरिया, घाना, टोगो, नाईजीरिया, कैमरून, अंगोला और कांगो इत्यादि से लाकर अमेरिका की मंड़ियों में बेचे जाते रहे। अलग अलग शर्तें थीं बेचने, खरीदने की। ज़्यादातर को उम्र भर के लिए खरीदा जाता था। वे इन का कुछ भी कर सकते थे।...

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Harlem Renaissance- Krishan Kishore

...अश्वेत सामाजिक दर्शन, जो इस निद्राभंग से पैदा हुआ, वह मार्टिन लूथर किंग के नागरिक अधिकार आंदोलन का भी आधार बना। बीस वर्ष के इस समय काल में इस कौम की सदियों की उपलब्धियां छिपी हुई हैं। सदियों के बोझ से दबा मानस एक ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ा। इस समय का कला, संगीत, साहित्य और दर्शन जैसे पिछले जन्म की स्मृति भी है, आज का जीवन भी और भविष्य के सपने भी। बीस वर्ष का यह समय ऐसा उन्मुक्त आकाश है, जहां उड़ान के बाद दिशाओं और ऊँचाईयों की कोई सीमा नहीं रहती।...

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Periodical 1/1/2022 -Krishan Kishore

...हीरो आज समाज में वैसे भी कोई नहीं। सिर्फ ग्लैमर हीरो है, चाहे वो खेलों में हो, फिल्मों में हो, राजनीति में हो या बिजनेस में। और यह ग्लैमर आम आदमी की पहुँच से परे है इसलिए व्यक्ति का हीरो कोई नहीं। हमारे आस पास समाज में कोई हीरो नहीं, घर परिवार में कोई हीरो नहीं, काम की जगह कोई हीरो नहीं। सम्बन्धों में कोई हीरो नहीं। देखने के लिए आसपास सभी कुछ अपने जैसा ही साधारण सा है। अच्छा भी, बुरा भी। सुख दुःख भी, आस निरास भी, हंसी खुशी भी। असाधारण कुछ नहीं। जिन्दगी की क्रूर स्थितियों में भी असाधारण देखने की मनस्थिति गायब हो गई है। आँखें जैसे एक ही आकार में खुलती बन्द होती हैं। फैलती, सिकुड़ती नहीं। माथे सपाट और समतल रहते हैं। धारियां नहीं पड़ती। यह एक रूप है ज़िन्दगी का...

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Periodical

...हमारी स्मृतियां हमें याद दिलाती हैं कि क्या खो गया है जिस की वजह से हमें अपना आज का यथार्थ खंडित लगता है। हमारी संवेदनाएं लगातार उस चुभन को जीवित रखती हैं।..

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Periodical : Krishan Kishore

विचार साहित्य आज एक बड़ा माध्यम है। बड़े पैमाने पर अलग -अलग समस्याओं पर विचार...

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