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Periodical : Krishan Kishore

Periodical : Krishan Kishore

विचार साहित्य आज एक बड़ा माध्यम है। बड़े पैमाने पर अलग -अलग समस्याओं पर विचार साहित्य उपलब्ध है। आज बड़े बड़े  समाजशास्त्री, चिकित्सक वर्ग अपने लेखन को दूर दराज के पाठक से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग उन्हें  पढ़ें, ऐसी कोशिश उनकी रहती है। सिर्फ विश्वविद्यालई स्तर पर और सिर्फ उन्हीं के विषय के शोधक उन्हें पढ़ें और समझें, ऐसा वातावरण समाप्त हो रहा है। इसी कारण साहित्य में वैचारिकता का दायरा बहुत बड़ा हो गया है। आम आदमी तक पहुंचने के लिए किसी भी विषय की सहजता, सुंदरता और प्रभावशीलता उसे साहित्य बना देती है । ताकि हर मानसिकता का व्यक्ति उन्हें रास्ता चलते अपने साथ रख सके। संवेदनात्मक संबंध जब तक विचारों से स्थापित नहीं होता और पारदर्शिता की सहजता नहीं आती ,कठोरता और जटिलता बनी रहती है। वैज्ञानिक या शुद्ध ज्ञान संबंधित तथ्यों की निष्कर्षगत जटिलता और बात है। लेकिन इंसानी सरोकारों से संबंधित विचारों का सीधा संबंध  विचार तक पहुंचने से पहले की संवेदनात्मक यात्रा से है उसी का प्रभाव केंद्र विचार बनता है और अभिव्यक्ति साहित्य- सहज ।संवेदनशील ढंग से आम आदमी के साथ संवाद स्थापित करने की शैली में हर तरह के विचारों को व्यक्त किया जा सकता है ।साहित्य की दूसरी विधाओं की तरह ही अलग-अलग मुद्राओं, भंगिमाओं , बिंबों  में ,अपनी पूरी संप्रेषण सहजता सरलता में जनमानस से एक विमर्श संबंध स्थापित किया जा सकता है।

 

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