1993 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिलने पर टोनी मॉरिसन ने कहा, ” मुझे खुशी इस बात की है कि यह पुरस्कार अंततः एक African-American को मिला। “
अश्वेत महा समुद्र की सतह के नीचे कितनी जीवंत बेचैनी है ,उसी को धरातल पर लाती हुई टोनी मॉरिसन आज प्रतीक है अश्वेत मानसिकता का। वह एक साधारण किसान के घर में पैदा हुई 1931 में। उसके माता-पिता किराए पर धरती देकर खेती किया करते थे। अपनी दो वर्ष की असहाय उम्र में ही टोनी ने अपने घर की स्थिति को समझा, जब घर का किराया न दे सकने की वजह से उनका घर जलाने की कोशिश की गई। इसी घटना ने आगे चलकर टोनी को अपने काले होने का अर्थ समझाया । और उन छह करोड़ काले अफ्रीकनों की गुलाम -मृत्यु को उनके मन में जीवंत रखा- जिन्हें उन्होंने अपनी पुस्तक Beloved समर्पित की है। इसी पुस्तक पर एक प्रसिद्ध फिल्म भी बनी है।
टोनी को लगभग सभी बड़े पुरस्कार मिले । नेशनल बुक अवार्ड, पुलित्जर प्राइज और नोबेल पुरस्कार। उन्होंने येल और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। टोनी मॉरिसन का ‘The Bluest Eye’ एक अश्वेत लड़की की कहानी है। पिकोला बचपन से ही अपने काले होने को बहुत बुरा मानती है। हमेशा अपनी आंखें नीली हो जाने के सपने लेती है। नीली आंखें, भूरे बाल और गोरा रंग । इस गरीब लड़की का पिता चोली एक शराबी निकम्मा है। वह भी अपने बचपन में भरपूर प्रताड़ित और अपमानित जीवन देख चुका है। अपनी ही गली में अपनी प्रेमिका के साथ यौन क्रिया करने के लिए दो गोरे लोगों द्वारा मजबूर किये जाना- जैसा अपमान सह चुका है। अपनी पत्नी पॉलिन को, जो लंगडी है -वह शराबी कोई खास प्यार नहीं करता। अपनी 11 वर्षीय बेटी पिकोला को वह रेप करता है और उसके पेट में अपना बच्चा डाल देता है। पिकोला की दो सहेलियां क्लाडिया और फ्रीडा अपनी नितांत अबोधता और दयनीयता में उम्मीद करती हैं कि वह गेंदे के फूल लगाएंगी। यदि फूल उग आएंगे, तो पिकोला का बच्चा ठीक ठाक जन्म लेगा। बाकी लोग इन अबोधों पर हंसते हैं। न फूल खिलते हैं, न पिकोला का बच्चा जमता है। केवल यही दुर्दांत नहीं है। बहुत आगे तक जाती है यह रेंगती काली जिंदगी। मृत्यु भी इसका अंत नहीं करती।।
1987 में टोनी मोरिसन का उपन्यास The Beloved प्रकाशित हुआ। 1856 की एक सच्ची घटना को आधार बना कर लिखा गया यह उपन्यास इतिहास के पौने दो सौ साल पुराने गर्त में उतरता है। 1856 में मारग्रेट गार्नर की कहानी समाचार पत्रों में छपी थी। अपने मालिक के जुल्मों से भागकर जाने के प्रयास में वह ओहायो नदी पार करते हुए पकड़ी गई थी। दोबारा गुलामी की ज़िन्दगी में वह अपनी नन्ही बच्ची को नहीं ले जाना चाहती थी। मारग्रेट गार्नर ने तब अपनी छोटी बच्ची को मार दिया था, गुलामी से बचाने के लिए। तब का अश्वेत अंधेरा कितना घना था, उसी का इतिहास लेखक की अनुभूत कल्पना रचती है। नायिका इन सभी बातों की प्रत्यक्ष या परोक्ष साक्षी है। जो उसके सामने नहीं घटा, वह भी उस से जुड़ा है। उन्हीं पात्रों के माध्यम से जिन का वह हिस्सा बन गई है। कहानी कहने की यह शैली पाठक को उस घटना क्षण के दर्द से बचा लेती है, पीड़ा को तटस्थ होकर देखने की स्थिति में ले आती है। पीड़ा का क्षण कोई और अहसास उस से जुड़ने नहीं देता, साक्ष्य चिन्तन पैदा नहीं करता।
इस गुलामी के इतिहास को जीवन्त करने के लिए टोनी मोरिसन को सन्न कर देने वाले उस समयांश से गुजरना पड़ा होगा। आंख की जगह आंख, कान की जगह कान को रख कर, एक एक दुख को, टुकड़े बीन कर अपनी जगहों पर रख कर यह चित्र पूरा करना पड़ा होगा। इस पज़ल बोर्ड के कई टुकड़े टोनी को नहीं मिले होंगे। कई रंग छूट भी गए होंगे। कहीं काला ज़्यादा काला नज़र आया होगा, तो कहीं लाल कम लाल। फिर भी इस चित्र की निर्मिति में साहस है, धीरज है, निर्द्वन्द्व भाव प्रवणता है, घटनाओं और स्थितियों को तारतम्य में जोड़ कर देखने की बाल एकाग्रता और कलात्मकता है, अपने समय में रहते हुए, आगे और पीछे देख सकने की कल्पनाशीलता है, जो एक सच्चे इतिहासकार या साहित्यकार में होती है या होनी चाहिए। उन दिनों का इतिहास कहने लिखने का कोई और तरीका इतना कारगर नहीं हो सकता।
‘Beloved’ उपन्यास के आरम्भ में ही नायिका अपनी सास की कथा कहती है। एक महानायिका की –
”बेबी सग्ज़ (सास) जानती है, अपने हों या पराए अगर वे भाग नहीं गए या फांसी नहीं चढ़ाए गए, तो उन्हें या किराए पर चढ़ा दिया गया या किसी दूसरे गोरे व्यक्ति को उधार दे दिया गया, गिरवी रख दिया गया या जुए में हार दिया गया। बस ऐसे ही मोहरे बनते रहे सभी। उस के आठ बच्चे थे। छः के अलग अलग पिता थे। बस एक Hale को ही वह अपने पास लम्बे समय तक रख सकी। दो छोटी बेटियां अभी मुश्किल से दूध के दांतों की उम्र में थीं। जाते हुए उन्हें वह मिल भी नहीं पाई। उन्हें एक सौदे में एक साहेब को दे दिया गया, मैथुन के लिए। बदले में एक बेटा बचा पाई। लेकिन उसे भी मालिक ने कुछ इमारती लकड़ियों के बदले बेच दिया। उसने वादा किया था कि वे उसे (सग्ज़ को) गर्भ नहीं देगा। लेकिन वह वायदा भी उसने नहीं निभाया। उस बच्चे को वह प्यार नहीं कर सकी और बाकियों को बचा नहीं सकी। जो भगवान ने लेना है, ले ले, उस ने सोचा।और भगवान ने जो लेना था, ले लिया। उसे मालिक से यह बेटा ‘Hale ‘ मिला। बाद में आज़ादी मिली जो अब उस के किसी काम की नहीं थी।”
भुक्त भोगी ने कह दी बड़ी सादगी से अपनी बात। अपने ही किसी को अपना दुख सुनाने में कैसी नाटकीयता। कहने की ज़रूरत भी कहां है?एक ख़बर जैसी है कि और क्या हुआ। दुख को कैसे कोई खींचतान कर बड़ा करे। एक खास गहराई से नीचे शब्द कहां रह जाते हैं?
उस समय की करीब करीब हर अश्वेत औरत की यही कहानी थी। पति किसी और का गुलाम है, पत्नी किसी और की। मिलना कभी कभी किसी सीमित छुट्टी की घड़ियों में।
मालिक अक्सर अश्वेत औरतों को माएं बना डालते थे। फिर उन्हीं बच्चों को गुलाम बना कर किसी और को जब कभी भी, किसी सौदे में बेच दिया जाता था। लकड़ी भी कभी कभी इन इन्सानों से मंहगी हो जाती थी। अगर बच्चे गोरे पिता और काली मां की संतान होते तो उन का रंग बीच का सा हो जाता। इन्हें मुलाटो कहते हैं। सब से ज़्यादा अवहेलना और निदर्यता इन्हीं बच्चों को सहनी पड़ती। अपने पिताओं के अपराधबोझ के ये बड़ी जल्दी शिकार हो जाते। पत्नी के गर्भ में किस का बच्चा है, इस बात के दुख दर्द में कौन अश्वेत पुरुष जलता। पत्नी को गले लगा कर और अधिक प्यार ही किया जा सकता था। पत्नी का अपमान, बिकते हुए बच्चे, रेप हो कर मां बनती औरतें, इस घर से उस घर में बदले जाते हुए गुलाम पुरुष यही वह ज़िन्दगी थी लाखों लोगों की, जिस का विरोध कहीं से नहीं उठता था।
इतिहास-साहित्य सही इतिहास भी है और साहित्य भी। अत्यन्त दुख, भाव कृपणता और दुर्गम तटस्थता से लिखी हुई रचना टोनी मोरिसन की यह कृति Beloved है। कथा में अपनी बच्ची की हत्या करने के बाद उसे जल्दी से दफन करने का एक प्रसंग है। सेथ एक कब्रिस्तान में है। उसने एक पत्थर चुना जो कब्र पर लगाना है। लिखना है उस पत्थर पर नाम और कुछ। अपनी बच्ची का गला काट कर उसने उसे मारा था। खून से हाथ अभी भी चिपचिपाए हुए थे। वह बात करती है कब्रिस्तान में एक पत्थर पर अक्षर गोदने वाले कारीगर से।
कारीगर पूछता है तुम्हारे पास दस मिनट हैं?मैं बिना पैसे लिए तुम्हारा यह काम कर दूंगा। दस मिनट, सात अक्षरों के लिए। तो दूसरे दस मिनट में वह Dearly (प्रिय) भी खुदवा सकती है। Dearly Beloved, लेकिन जो कुछ सौदा उस ने किया, वह बस एक शब्द के लिए ही था। वही एक शब्द उसके लिए अर्थपूर्ण था। यही उस ने सोचा कारीगर के साथ उन खुरदरे, कब्र के पत्थरों के बीच अपनी देह रगड़ते। कारीगर का बेटा पास खड़ा देखता रहा। कारीगर के चेहरे पर वही पुराना गुस्सा था, सिर्फ भूख नयी थी। वो दस मिनट काफी थे एक और उपदेशक को चुप कराने के लिए, एक क्रोध से भरे कस्बे को शांत करने के लिए।
उस की मृत बच्ची की आत्मा में इतना क्रोध समा गया था कि उस कारीगर के बेटे के सामने अपना शरीर खुरचवाना काफी नहीं था, उसे शांत करने के लिए। क्रोध इस घर में बसा हुआ है, उस बच्ची के इसी क्रोध से घिरे हुए ही जीना है। बस यही काफी नहीं रहा। वही दस मिनट वह अब भी सहती है, वही जो उसने सुरमई रंग के पत्थर के साथ सट कर गुजारे थे। उसके घुटने पूरे खुले थे, एक कब्र की तरह खुले। लेकिन बच्ची का क्रोध कम नहीं होता। घर की दीवारों में समा गया है….।
टोनी मोरिसन एक सतरंगी वृक्ष का वर्णन करती हैं। अश्वेत पीठ पर फैले हुए सतरंगी वृक्ष का। प्रसव से पहले जब ऐमी ने सेथ की पीठ से कपड़ा उठाया, तो वह बड़ी देर एक खामोशी में डूबी रही। फिर इस तरह बोली जैसे कोई सपने में बोलता है। एक अस्पष्ट प्रस्फुटन –
‘ये तो पेड़ है, एक चोकबेरी का पेड़ । देखो, ये इस पेड़ का तना है। पूरा लाल और बीच से पूरा खुला हुआ, रस से भरा हुआ। और यहां ये टहनियां हैं, तुम्हारी पीठ पर अलग अलग फैली हुई टहनियां। और पत्तो भी हैं और फूल भी, नन्हे चेरी के फूल, सफेद। तुम्हारी पीठ पर तो पूरा पेड़ उगा हुआ है, अपनी पूरी बहार में है। परमात्मा के मन में क्या है मैं नहीं जानती। मुझे बस हैरानी होती है। मैंने भी पीठ पर कोड़े खाए हैं। लेकिन इस तरह से तो कभी नहीं।’सेथ ने एक लम्बी सांस भरी और ऐमी अपने दिवास्वप्न की प्रस्फुटन से एक झटके में बाहर निकल आई।
इस तरह की अश्वेत पीठें, बाँहें, टांगें जिन पर कोड़ों ने पेड़, पौधे, फूल उगा दिये थे, हर घर में थे। लेकिन ये पौधे और फूल तोड़े नहीं जा सकते थे, मुर्झाने भी नहीं दिए जाते थे। उम्र भर का लम्बा बसंत था इन के लिए। थोड़े थोड़े दिन बाद इन में नए रंग भर दिए जाते थे। मालिकों के हाथों में नए हंटर, नए चाबुक आ जाते